अश्रु बहे इन आँखों से तब
उन कोमल हाथों को देखा जब,
लीन थे अपने कार्य में वे
घिरे हुए पटाखों के ढेर से,
कटे पिटे थे उनके हाथ!
कर दो कृपा उनपर हे नाथ!!!
वे निर्दोष कर रहे जी-तोड़ परिश्रम!
फिर क्यों हुई उनकी तनख्वा कम?
कैसी यह विडम्बना है?
मानव मानव का अवलम्बन न हैं!
हो रहा अत्याचार उनके साथ
कर दो कृपा उनपर हे नाथ!!!
आँखों में उनकी थी नमी,
बस चंद रुपयों की थी कमी|
चोला उनका सुहावना न था,
कुचल रहीं थी उन्हें क्रूर प्रथा|
कौन थामेगा उनका हाथ?
कर दो कृपा उनपर हे नाथ!!!
कैसा यह समय आया!
मानव ने मानव को सताया!
सदभवना,मानवता, प्रेम-सौहार्द
कर रहा मानव इन मूल्यों को बर्बाद|
हे प्रभु! इन सर्वहारों का दो साथ…
कर दो कृपा उनपर हे नाथ!!!
कर दो कृपा उनपर हे नाथ!!!
Bahut hi acha likha hai Bhavya 😊
Kash ye sb jaldi katam ho aur bacho ko kaam nhi padhai aur khel hi mile
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Thank you Era!
Mai bhi yahi prarthana karti hun 👍🙏
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😊😊
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